Friday, August 2, 2019

प्रार्थना

जय श्री राम
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श्री हनुमते नमः

चले श्री राम दूत हनुमान,
सीता का पता लगाने को,
आकाश मार्ग को वे उड़े,
पवन से भी तेज वेग उनका था।
छलांग लगाई जिस पर्वत से,
चला गया वह जमीन के अन्दर,
"जय श्री राम"का उद्घोष लगाकर,
चल पड़े समुद्र उस पार।
समुद्र पार एक पर्वत पर चढ़कर,
देखा सोने की लंका को,
अति प्यारी अति सुन्दर,
छटा अति निराली थी उसकी।
दानव दिग्गज अति बलशाली को,
मल्लयुद्ध करते देखा,
किसी को मदिरा-मांस का,
सेवन करते देखा।।

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