Wednesday, December 4, 2019

               यही जमाना है
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शान्ति देवी का परिवार छोटा ही है।पति-पत्नी और दो लड़के बस।बदकिस्मती रही उनकी कि पति का स्वर्ग वास रिटायर होते ही हो गया।अब खुद व दोनों नौकरी पेशा वाले लड़के ही बचे।पति अपना मकान भी नहीं बनवा पाये थे।शान्ति देवी ने सोचा अब मुझे क्या करना है।दो लड़के हैं दोनों के पास रहूंगी कुछ दिन बड़े के पास तो कुछ दिन छोटे के पास ।लड़कों की भी यही इच्छा थी।माँ को लड़के जी-जान से चाहते थे।दिन हँसी-खुशी बीत रहे थे।इस बीच शांति देवी ने बड़े लड़के की शादी कर दी।बहू जो आई तेज-तर्रार।सो शान्ति देवी की उससे नहीं पटी।कुछ दिनों बाद छोटे लड़के की भी शादी कर दी।उसकी भी बहू तेज-तर्रार निकली।परिवार में बहुओं का राज्य हो गया।लड़के बहुओं से दबते थे।उनके आगे कुछ बोल नहीं पाते थे और बहुओं को शान्ति देवी पसन्द नहीं थीं।एक दिन बहुओं की राय से दोनों लड़कों ने शान्ति देवी को वृद्धाश्रम में डाल दिया।शान्ति देवी आसमान से जमीन पर आ गिरीं।क्या सोचा था क्या हो गया    !बेचारी शान्ति देवी जी

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