मुंह फेरा न करो,
मुंह लटकाया न करो,
उदास हुआ न करो,
किसी की जान जाती है।
देखकर तुम्हें कोई साँसें लेता है,
तुम बेखबर क्यों उससे रहते हो,
देख भी लिया करो,
कौन जीता कौन मरता है?
तुम राह चलते हो तो,
जमीं यह थिरकती है,
कितनों की आहें निकलती है,
कितने ही घायल होतें हैं।
धड़कन बढ़ जाती है सबकी,
जब तुम राह पर निकलते हो,
राह पर निकला करो जब भी,
जरा संभल-संभल कर चला करो।
तुम्हारी नज़ाकत तुम्हारी अदायें,
सभी तो यहाँ पहचानतें हैं,
किस-किस से तुम छुप पाओगे,
तुम सबकी नजरों में रहते हो।।
मुंह लटकाया न करो,
उदास हुआ न करो,
किसी की जान जाती है।
देखकर तुम्हें कोई साँसें लेता है,
तुम बेखबर क्यों उससे रहते हो,
देख भी लिया करो,
कौन जीता कौन मरता है?
तुम राह चलते हो तो,
जमीं यह थिरकती है,
कितनों की आहें निकलती है,
कितने ही घायल होतें हैं।
धड़कन बढ़ जाती है सबकी,
जब तुम राह पर निकलते हो,
राह पर निकला करो जब भी,
जरा संभल-संभल कर चला करो।
तुम्हारी नज़ाकत तुम्हारी अदायें,
सभी तो यहाँ पहचानतें हैं,
किस-किस से तुम छुप पाओगे,
तुम सबकी नजरों में रहते हो।।
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