Saturday, August 24, 2019

     गिरते हैं क्यों लोग
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ऊपर उठतें हैं लोग वही,
जो ऊँचा देखतें हैं,
गिरतें हैं लोग वही,
जो धरा छोड़ देतें हैं।
नजर रहे मंजिल पर,
मिल ही जायेगी,
गर जमीं भूले तो,
भटक जाओगे।
जाना कहीं था,
कहीं आ जाओगे,
अगर रास्ता भूले तो,
खो जाओगे।
मुश्किल बहुत है सफर जिन्दगी का,
चलना है कंटीली राहों पर,
काँटे चुभेंगे ठोकरें लगेंगी,
जो हार गये तो,
न कहीं के रहोगे।
हौसला बुलंद कर तू ऐ राही,
निकल चल कँटीली राहों पर,
हिम्मत न हार राहों से,
ऊँचाई की सोच,
पर,
नजर धरा पर रहे,
तो,
कोई शक नहीं,
ऊँचाइयां छू लोगे तुम।

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