Saturday, August 10, 2019

एक सलाह

युवा पीढ़ी को
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आज की युवा पीढ़ी को पंख लग गये हैं।प्रायः युवा वर्ग उसकी उम्मीद करता है जो उसके माँ-बाप के वश की नहीं होती।युवा दूसरों से अपने रहन-सहन और पहनावे की बराबरी करतें हैं।माँ-बाप की मजबूरी नहीं समझते।हर माँ-बाप खुद चाहे जैसे रहें संतान को अपने से दो कदम आगे रखना चाहतें हैं।माँ भूखी रह कर संतान का पेट भरना चाहती है।बच्चों को खुद से अधिक शिक्षित करना हर माँ-बाप चाहतें हैं।संतान की कामयाबी पर सबसे अधिक खुशी माँ-बाप को ही होती है।युवा पीढ़ी को चाहिए कि दूसरों से बराबरी न करके माँ-बाप की मजबूरियां समझें।आप जो कुछ भी करना चाहतें हैं समय आने पर अपने दम पर करें।
खास कर  13 से 19 वर्ष की पीढ़ी (Teen Ager)इस बात को समझें क्योंकि यही उम्र है जिसमें आप हाईस्कूल,इण्टर आदि कोर्स करतें हैं जो जीवन की नींव है।चाहें तो भविष्य बनायें चाहें तो बिगाड़ें।जो गलती बड़ों ने की उसे दोहरायें नहीं।बड़े जो भी कहतें हैं या समझातें हैं अपने अनुभव पर ही समझातें हैं।यकीन मानिए यदि बाप आपको मारता भी है तो आपसे अधिक कष्ट बाप को ही होता है।
आप मुझे कह सकतें हैं कि,"मैं कौन होता हूॅ लेक्चर देने वाला?"लेकिन यकीन मानिए मैं जो कुछ भी कह रहा हूॅ  अपने अनुभव पर ही कह रहा हूॅ। हो सकता है आपको गलत भी लगे लेकिन मेरी समझ में सही है और आपको राय दे रहा हूॅ।मानिए या न मानिए आपकी इच्छा।हर युवा पीढ़ी पिछली पीढ़ी को  18वीं सदी का समझती है लेकिन ऐसा नहीं है पिछली पीढ़ी के पास दुनिया का अनुभव है जो युवा पीढ़ी के पास नहीं हो सकता।युवा पीढ़ी ऊँच-नीच नहीं समझ सकती पर हम पुरानी पीढ़ी के लोग अच्छी तरह समझतें हैं।
माँ-बाप को भी समझना चाहिए कि बच्चा किस उम्र का है और उसकी आवश्यकताएं क्या हैं तथा संतान के कहने से पहले ही उन्हें पूरा कर दें।यह  उम्र ही ऐसी है अच्छा-बुरा नहीं समझ सकती हमें ही समझाना होगा मार-पीट कर नहीं बातों से।घर की समस्याओं के हल में इन्हें साझीदार बनायें ताकि इन्हें अपनी अहमियत और जिम्मेदारी का एहसास हो।
अब एक बात और कुछ युवा युवक-युवतियां इस उम्र में लैला-मजनूं बनना चाहतें हैं यह सब बकवास है फिल्मी नहीं असली जिन्दगी में जियें तथा अपना भविष्य बनायें।

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