Monday, August 5, 2019

प्रार्थना

जय श्री राम
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श्री हनुमते नमः

पर्वत से तुमने लंका जो देखी,
अति विशाल अति सुन्दर नगरी को,
प्रवेश करना था लंका में तुमको,
पर प्रवेश ही बड़ा दुरूह था।
द्वार बने थे अति विशाल अति दुर्गम,
एक से एक बलशाली दानव,
लंका की रखवाली करते थे,
द्वार पर उनकी नजर पैनी रहती थी।
छुप न पाता था कोई भी नजरों से उनकी,
तब हनुमन् तुमने माया एक खेली,
करके धारण मच्छर रूप को,
प्रवेश लंका में करना चाहा।
लेकिन बच न पाये लंकिनी की नजरों से,
देख लिया उसने एक अपरिचित,
लंका में प्रवेश करता है,
रोक लिया उसने द्वार पर तुमको,
और तुम्हारा परिचय जानना चाहा।।

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