Sunday, August 4, 2019

बड़े बाबू

बड़े बाबू


मेरा नाम "रामप्रसाद" है, सरकारी दफ्तर में हेड क्लर्क हूॅ, सो "रामप्रसाद" नाम से कम "बड़े बाबू" नाम से अधिक जाना जाता हूॅ। मेरी एक लड़की "रूपा" और एक लड़का "मनोज" है, जिसे प्यार से "मुन्ना" भी कहतें हैं।बड़ी इच्छा थी, मुन्ना इंजीनियर बन जाता तो बुढ़ापा आराम से कट जाता, बहुत उम्मीद लगाई थी मैंने मुन्ना से, इसीलिए रूपा को सरकारी स्कूल में पढ़ाता था और मुन्ने को अंग्रेज़ी माध्यम से कान्वेंट स्कूल में।
खैर दोनों बच्चे बड़े होते गये, रूपा ने १२वीं तथा मुन्ने ने ११वीं पास कर ली, रूपा ने बी एस सी में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा दी पढ़ने में बहुत तेज थी। उसे पूरा विश्वास था कि वह उत्तीर्ण हो जायेगी और दाखिला मिल जायेगा। इधर मुन्ना भी पढ़ने में तेज था सो एक साल बाद १२वीं पास होकर वह इंजीनियरिंग में प्रवेश पा जायेगा ऐसा मुझे पूरा विश्वास था। इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्च देखता तो लगता मेरी तनख्वाह इतनी नहीं कि घर के खर्च के अलावा दोनों की पढ़ाई का भी खर्च उठा लूंगा। इसलिए रूपा की पढ़ाई बन्द करने का निर्णय लिया।
सोचा, "आखिर लड़की ही तो है, क्या करना है उसे घर ही तो सम्भालना है सो इण्टर तक पढ़ गई बहुत पढ़ गई अधिक पढ़ कर करेगी भी क्या?"
मेरा फैसला सुनने के बाद रूपा बहुत रोई गिड़गिड़ाई कि, "पिताजी, मैं और पढ़ना चाहती हूॅ, क्यों मेरी पढ़ाई बन्द कर रहें हैं?"
लेकिन मैं अपने फैसले पर अटल था, अतः उसकी पढ़ाई बन्द कर दी जब कि बीएससी की प्रवेश परीक्षा उसने पास कर ली थी। कुछ दिन रूपा उदास रही फिर पत्नी कौशल्या ने बताया कि, "रूपा ने कुछ ट्यूशन पकड़ लिया है।"
मैं बहुत नाराज हुआ कि, "यह क्या किया तुमने मुंहजली? लोग क्या कहेंगे कि रामप्रसाद बेटी की कमाई खा रहा है। नाक कटवाओगी क्या मेरी?"
रूपा बोली, "पिताजी आप नाराज मत होइये,  मैं मुन्ने के रास्ते की रूकावट नहीं बनूँगी खुद अपनी पढ़ाई का खर्च उठाऊँगी।"
मैंने कहा, "चुप,बड़ी चली पढ़ने वाली। "पत्नी से बोला, "इसका एक भी पैसा अपने, मेरे शरीर या घर में मत लगाना कसम है तुम्हें।"
लेकिन रूपा जिद्दी निकली ट्यूशन भी कर लिया और बीएससी में दाखिला भी ले लिया। मैंने उससे बोलना छोड़ दिया जैसे वह घर में है ही नहीं।
मुन्ने ने अगले साल इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा पास कर ली, उसका दाखिला भी हो गया, हाॅस्टल में रहता था, दोनों बच्चे पढ़ने में तेज थे अगली कक्षाओं में बढ़ते गये। रूपा ने बीएससी उत्तीर्ण कर ली और बैंक में नौकरी करने लगी। मुन्ना इंजीनियरिंग के अन्तिम वर्ष में पहुंच गया था।
इंजीनियरिंग पास करने के बाद वह आईईएस बन गया है। मैं जमीन पर न रहता उड़ने लगा आखिर बेटा आईईएस है। सीना दो इंच चौड़ा हो गया,।जमीन से मैं दो फुट ऊपर चलता आखिर मेरा सपना पूरा हुआ। मेरी खुशी बहुत दिन तक न टिक सकी मुन्ने ने अपने उज्जवल भविष्य के लिए अपने से बड़े अधिकारी की लड़की से शादी कर ली और उनका घर जंवाई हो गया, वह भी तब जब कि उसकी बड़ी बहन रूपा अभी क्वांरी ही थी। मैं फिर आसमान से गिर कर जमीन पर आ गिरा, मुन्ना घर भी कम ही आता वह भी एकाध घण्टे के लिए, पराया हो गया।
हालाँकि, रूपा से मेरा कोई मतलब नहीं था, फिर भी वह मेरी ही लड़की थी, दिन प्रति दिन बड़ी होती जा रही थी।मुन्ने की बेरूखी और रूपा की शादी की चिन्ता ने मुझे तोड़ दिया कि शादी का खर्च कहाँ से लाऊँगा? पत्नी ने समझाया, "चिन्ता मत करो सब हो जायेगा सब, बस अच्छा लड़का खोजो।"
पत्नी ने हिम्मत दिलाई तो दौड़-धूप करने लगा, रूपा सुन्दर थी और बैंक में काम करती थी सो शादी भी तय हो गई।
शादी की रात मुन्ना पत्नी सहित आया था, मेहमानों की तरह तीन-चार घण्टे रहकर चला गया।
उसकी इस बेरूखी से मैं एकदम टूट सा गया, एक दिन सीढ़ी से उतर रहा था तो चक्कर खा कर गिर गया मेरे दोनों पैर टूट गए, जब अस्पताल में होश में आया तो ऑखें मुन्ने को खोज रहीं थीं पता चला आया था दो घण्टे रहकर चला गया, हाँ, रूपा अवश्य दिखी।
अस्पताल से छुट्टी मिलने पर घर आया तो बैसाखी साथ में थी। रूपा रूकी हुई थी। एक दिन मैंने पत्नी से पूछा, "मुन्ने की पढ़ाई, शादी का खर्च फिर यह सब तुमने कैसे सम्भाला?"
वह बोली, "मुन्ने के पिता, जमाना बहुत आगे है, अपने दकियानूसी विचार छोड़ो, तुम क्या समझते हो, यह सब कुछ तुम्हारी तनख्वाह से हुआ है? नहीं मुन्ने के पिता, भगवान् का शुक्र मनाओ और बेटी को दुआ दो जिसने यह सब किया। तुम्हारी तनख्वाह तो मुन्ने की फीस के लिए भी कम पड़ती थी वह तो रूपा की नौकरी बैंक में लग गयी उसी की तनख्वाह से मुन्ने की फीस जमा होती थी नहीं तो--------------" इसके बाद वह न बोल पाई।बिलख-बिलख कर रोने लगी जैसे बँधी नदी बाँध तोड़कर बह चली हो, मैं बुत बना रहा तभी रूपा आ गई बोली, "यह क्या माँ पिताजी?"
मैं कुछ न बोल पाया, बस उसके सामने हाथ जोड़कर माफी मांगनी चाही, लेकिन ऑखों की कोरों से ऑसू निकल पड़े और ओंठ काँप कर रह गए।

आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट और शेयर करें... सुधीर श्रीवास्तव

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