आज-कल प्रेम विवाह सुनने बहुत आ रहा है।लड़के-लड़की एक साथ पढ़तें हों या काम करतें हों कभी-कभी प्रेम कर बैठतें हैं।अच्छा भी है प्रेम विवाह जहाँ वे एक-दूसरे को समझ लेतें हैं वहीं दहेज प्रथा पर रोक भी लगेगी।लेकिन यह प्रेम शारीरिक सुन्दरता पर भी हो सकता है जो क्षणिक होता है।शादी के छह महीने बाद शारीरिक सुन्दरता के प्रति मोह खत्म हो सकता है। जिन्दगी की डगर एक ही हो जाती है वही बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, राशन-पानी की चिन्ता करनी पड़ती है।
लव मैरिज करें खूब ठोंक बजा कर यह जिन्दगी का सवाल है।ऐसा न हो शारीरिक सुन्दरता में आप मन की सुन्दरता वाले जीवन साथी को खो बैंठे।आखिर प्रेमी युगल को समझना चाहिए कि फिल्मी नहीं असली जिन्दगी जीनी है।
अतः मैं तो कहूँगा कि अपनी पसंद के बारे में प्रेमी युगल अपने माँ-बाप को अवश्य अवगत करा दे।माँ-बाप जो भी करेंगे यह मानिए उचित करेंगे।आखिर बच्चों खुशी ही माँ-बाप की खुशी है।हो सकता है आपकी जवानी का जोश गलत जीवन साथी चुन बैठे पर माँ-बाप की अनुभवी तथा पैनी नजर अवश्य ही पहचान जायेगी।यदि आपकी पसंद अच्छी है तो माँ-बाप कभी मना नहीं करेंगे।माँ-बाप जो भी करतें हैं संतान की भलाई के लिए करतें हैं।
अब माँ-बाप का भी फर्ज बनता है कि यदि बच्चे ऐसी कोई बात बतायें तो ध्यान से सुनें।यह न सोचे कि उसने तो समझ ही लिया है हमें क्या समझना।दोनों को परखें कि संतान की पसंद आखिर कैसी है?अपनी नजर से उसे देंखे कि वह कैसा जीवन साथी होगा।यदि संतान द्वारा चुना गया जीवन साथी अच्छा नजर आये तो हामी भर दें अन्यथा स्पष्ट शब्दों में मना कर दें।आखिर यह संतान के भविष्य का प्रश्न है।
लव मैरिज करें खूब ठोंक बजा कर यह जिन्दगी का सवाल है।ऐसा न हो शारीरिक सुन्दरता में आप मन की सुन्दरता वाले जीवन साथी को खो बैंठे।आखिर प्रेमी युगल को समझना चाहिए कि फिल्मी नहीं असली जिन्दगी जीनी है।
अतः मैं तो कहूँगा कि अपनी पसंद के बारे में प्रेमी युगल अपने माँ-बाप को अवश्य अवगत करा दे।माँ-बाप जो भी करेंगे यह मानिए उचित करेंगे।आखिर बच्चों खुशी ही माँ-बाप की खुशी है।हो सकता है आपकी जवानी का जोश गलत जीवन साथी चुन बैठे पर माँ-बाप की अनुभवी तथा पैनी नजर अवश्य ही पहचान जायेगी।यदि आपकी पसंद अच्छी है तो माँ-बाप कभी मना नहीं करेंगे।माँ-बाप जो भी करतें हैं संतान की भलाई के लिए करतें हैं।
अब माँ-बाप का भी फर्ज बनता है कि यदि बच्चे ऐसी कोई बात बतायें तो ध्यान से सुनें।यह न सोचे कि उसने तो समझ ही लिया है हमें क्या समझना।दोनों को परखें कि संतान की पसंद आखिर कैसी है?अपनी नजर से उसे देंखे कि वह कैसा जीवन साथी होगा।यदि संतान द्वारा चुना गया जीवन साथी अच्छा नजर आये तो हामी भर दें अन्यथा स्पष्ट शब्दों में मना कर दें।आखिर यह संतान के भविष्य का प्रश्न है।
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