Monday, August 26, 2019

डॉक्टर साहब


                   डॉक्टर साहब 



    

आशा को रोहित का शाम को देर से घर आना अच्छा नहीं लगता था। एक तो दिन भर घर में अकेले रहना, शाम को रोहित का इंतजार करते-करते ऊब जाना, तब कहीं रात को देर से रोहित का आना बहुत उबाऊ लगता था। बहुत समझाया रोहित को पर वह यही कहता, "मैं एक सरकारी डाॅक्टर हूॅ, कोई न कोई मरीज आ ही जाता है, जिसे देखने के लिए रूकना पड़ता है।"
आशा कहती, "तुम्हीं तो एक हो नहीं और भी तो डॉक्टर हैं तुम्हारे अस्पताल में? वे कैसे जल्दी आ जातें हैं।"
रोहित कहता, "आशा, पता नहीं इन मरीजों को मेरा नाम कौन बता देता है? जिस मरीज को देखो 'डाॅक्टर रोहित को ही खोजता है, पता नहीं यह मेरे हाथ का कमाल है या ऊपर वाले की देन?"
आशा कहती, "कुछ भी हो तुम्हें जल्दी घर आना पड़ेगा, घर में मैं तुम्हारा इंतजार करती हूॅ, इसका भी ध्यान देना चाहिए तुमको, मैं भी इंसान हूॅ वह भी तुम्हारी पत्नी कोई नौकर नहीं।"
रोहित ने कहा, "ओ के बाबा, कल से ध्यान रखूँगा, प्राॅमिस।"
दोनों की कहा-सुनी खत्म हो गई। दूसरे दिन से रोहित समय से घर आने लगा। आशा खुश रहने लगी लेकिन रोहित ऊपर से खुश दिखता अन्दर से खुश न रहता, सोचता रहता, "आज उस मरीज को बिना देखे आया हूॅ न जाने कैसा होगा?"
लेकिन चिन्ता को आशा के कारण चेहरे पर न आने देता।अब आशा रोज ही शाम को रोहित के साथ घूमने-फिरने जाने लगी ।बहुत खुश रहती।
एक बार आशा के माँ-बाप घर आये।आशा रोज ही शाम को उन्हें घुमाने ले जाती रोहित भी रहता। सभी खुश रहते। इसी बीच आशा का जन्म दिन पड़ गया। रोहित ने सुबह-सुबह गुलाब के फूल से विश किया।आशा बहुत खुश हुई जिन्दगी का मजा आने लगा। रोहित ड्यूटी पर जाने लगा तो आशा ने कहा, "आज जरा जल्दी आ जाना, माँ-पिताजी के साथ बाहर चलेंगे और होटल में खाना खायेंगे।"
वैसे तो आशा होटल का भोजन पसंद नहीं करती है चूंकि शादी के बाद उसने यह प्रस्ताव पहली बार रखा था अतः रोहित शाम को जल्द ही घर आ गया। सभी लोग बाहर जाने को तैयार हुए तभी एक गरीब पति-पत्नी अपने छोटे बच्चे को गोद में लेकर आ गये।
रोहित से बोले, "डाॅक्टर साहब, बच्चा बहुत बीमार है देख लीजिए।"
रोहित ने कहा,"कल अस्पताल आना, मैं जरूरी काम से जा रहा हूॅ।"
दम्पति बोली,"डाॅक्टर साहब, बहुत देर हो सकती है।"
रोहित बोला,"तो मैं क्या करूँ?
दम्पति बोली, "डाॅक्टर साहब, इतने निष्ठुर मत बनिये, आप तो देवता हैं, मरीजों का ध्यान बहुत देते थे, यह आपको क्या हो गया है? "कहकर दोनों पति-पत्नी ने बच्चे को रोहित के पैरों पर रख दिया।
रोहित असमंजस की स्थिति में आशा को देखने लगा।
आशा बोली, "देख लो, कुछ देर बाद चलेंगे।"
रोहित ने बच्चे को देखा बोला, "अस्पताल में भर्ती करवाना होगा, डॉक्टर कपूर होंगे वह देख लेंगे।"
दम्पति बोली, "डाॅक्टर साहब, आप देख लीजिये अस्पताल चले चलिये, आपका पूरा खर्च देंगे, आपके हाथ में देवता रहतें हैं।क्या बच्चे की जिन्दगी से आपका कहीं जाना अधिक आवश्यक है? आप जाइये हम आपके आने का इंतजार करेंगे, लेकिन दिखायेंगे तो आपको ही।"
रोहित बच्चे को अस्पताल ले जाना चाहता था लेकिन आशा के कारण रूका हुआ था।
आशा थी तो इंसान ही ऊपर से औरत, द्रवित हो गई, इशारों में जाने को कह दिया, रोहित अस्पताल चला गया।
बहुत रात गये आया, तो आशा ने पूछा, "बच्चा कैसा है?"
रोहित बोला, "बहुत अधिक बीमार था, तबियत कुछ सुधरी तब आया हूॅ अफसोस मैं तुम्हारे बर्थ डे में शामिल न हो सका।"
आशा उससे लिपट कर बोली, "मेरे बर्थ-डे से जरूरी उसकी जिन्दगी थी, आज मैंने जाना तुम देर से क्यों आते थे, तुम सच में देवता हो।"

आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट और शेयर करें... सुधीर श्रीवास्तव

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