Tuesday, August 13, 2019

शहीदों की विरासत



पाई थी गुलामी शहीदों ने विरासत में,
बाजू उनके फड़फड़ा रहे थे,
आजाद भारत कराने को,
लोहा लेते अंग्रेजी शासन से थे।
यह देश हमारा है,
यह वतन हमारा है,
यह चमन हमारा है,
तू फैयाज़,
कहाँ से आ बैठा है?
अब हट यहाँ से,
यह प्यारा घर हमारा है,
हमें इसे प्यारा चमन बनाना है,
खो दिये प्राण शहीदों ने,
पर पीछे नहीं हटे,
शासक जितना दबाते थे,
उतना ही उठते जाते थे।
घबड़ा कर फैयाज़ भाग गया,
आजादी के परिन्दों से,
और शहीदों ने गुलामी को हराकर,
आजाद भारत विरासत में हमको दे दिया।।

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