Friday, September 13, 2019

ईश्वर मिल गये रास्ते में

ईश्वर मिल गये रास्ते में
----------------------------------
God on road

कल ईश्वर से मुलाक़ात हो गई,
रथ पर सवार कहीं जा रहे थे, 
पड़ गया मैं उनके रास्ते में,
वे घबड़ा उठे।
सारथी ने हार्न बजाया, 
पर, 
मैं हटने को तैयार न था,
हार गया बेचारा, 
खुद ही चलकर आया।
बोला, 
"हटते क्यों नहीं,
बहरे हो क्या?"
मैं बोला, 
"बहरा तो नहीं,
लेकिन, 
जिद्दी हूॅ।"
वह बोला, 
"तकलीफ है क्या?"
मैं बोला, 
"तुमसे मतलब?
मैं ईश्वर से मिलना चाह रहा हूॅ।"
वह बोला, 
"मुझसे बोलो, 
ईश्वर तो न आयेंगे।"
मैं बोला, 
"क्यों न आयेंगे,
हमने तो सड़क जाम करके, 
न जाने कितनों को बुलाया है,
इनको भी आना ही होगा।"
बहस बढ़ती देख,
ईश्वर खुद आ गये,
बोले,
"वत्स, 
क्या बात है, 
यह जाम क्यों लगा बैठे हो?"
मैं बोला, 
"भगवन् , 
आप से ही बात करनी है, 
ये बताइए, 
बाप के रहते बेटा क्यों मर जाता है,
कभी-कभी छोटे बच्चों को छोड़कर, 
जवान बाप  क्यों मर जाता है?
हे ईश्वर, 
यह तो बताइए, 
सतयुग में आपके पिता ने श्रवण को मारा, 
तो उसके अंधे माँ-बाप कितने दुःखी हुए थे,
आपने देखा ही होगा?
और,
उन्हीं के श्राप से, 
आपके पिता मर गये, 
क्या आप दुःखी नहीं थे?
चलिए और गिनाऊँ,
आपके रहते झूठा अश्वत्थामा मारा गया,
द्रोणाचार्य कितने दुःखी हुए थे, 
क्या आपने देखा न था? 
अभिमन्यु मर गया अकेले, 
अर्जुन का दुःख आप झेल न पाये, 
और फिर, 
छल-कपट करके जयद्रथ को मरवा दिया,
ऐसा आपने क्यों किया?
जब आप खुद झेल न पाये, 
हम मनुष्य क्या झेलेंगे?"
ईश्वर बोले,
"वत्स, 
यह तो विधि का विधान है।"
मैं बोला, 
"अच्छा,
यह तो बताइए,
विधि कौन है,
और, 
यह विधान किसका है?
क्योंकि,
गीता में आपने कहा है, 
मैं ही ईश्वर हूॅ, 
और जो कुछ होता है, 
मेरी इच्छा से होता है।"
अब ईश्वर झांकने लगे इधर-उधर,
जवाब तो दे न पाये।
मैं फिर बोला, 
"हे ईश्वर, 
विनती करता हूॅ, 
भारत की राजनीतिक दलों को,
अपने पास बुला लीजिये, 
फिर चुनाव करवा दीजिए, 
जो जीतेगा पाँच साल,
उसे ईश्वर बना दीजिए, 
वादा करता हूॅ, 
वे आपके इस विधान को, 
कुछ लोगों पर से हटा देंगे,
और,
आपके सुप्रीम कोर्ट के विरोध में,
आपकी लोक सभा, 
आपकी विधान सभा,
आपकी राज्य सभा, 
आपकी विधान परिषद से,
कोई न कोई विधेयक पास करा ही लेंगे।"
बस सुनते भारत के राजनीतिक दलों का नाम, 
ईश्वर अन्तर्ध्यान हो गये,
और,
मेरा सपना टूट गया।

आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट और शेयर करें... सुधीर श्रीवास्तव

ऐसे ही और कहानियां पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

No comments:

Post a Comment