Monday, September 16, 2019

                   तुम दूर रहते हो
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तुम दूर रहते हो,
लेकिन दिल को गुमाँ यह होता है,
तुम पास मेरे रहते हो,
हर आहट तुम्हारी लगती है।
हर धड़कन तुम्हारे नाम से होती है,
ऑखों में तुम ही तुम रहते हो,
तुम दूर रहो या पास रहो,
फर्क क्या पड़ता है,
जब दिल से दूर नहीं हो पाते हो?
दिल तो नादान है बेचारा,
तुमको ही खोजा करता है,
ऑखों का क्या है भला,
तस्वीर तुम्हारी रखतीं हैं।
तुम अगर दिख जाओ,
तुमको देखने का मन और करता है,
सामने जब पड़ जाते हो,
हमें शर्म आ जाती है।
अगर कुछ बोलना चाहूँ,
जुबां लड़खड़ा सी जाती है,
और अगर तुम बोले तो,
हमें कंपकंपी सी हो जाती है।

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