Tuesday, September 10, 2019

पिता की शादी

पिता की शादी
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शक्ति सिंह जी लगभग ५५ साल के होंगे।बहुत ही सज्जन पुरूष थे।छल-कपट तो आता नहीं था।उनके एक लड़का नीरज सिंह था।बहुत अच्छा लड़का था।पत्नी भी अच्छी पा गया था।पूरा परिवार सुखी था।कोई कष्ट नहीं था।शक्ति सिंह हर बात पत्नी से कर लेते थे।कोई भी कष्ट हो,चिन्ता हो,ऑफिस या और कहीं की।पत्नी से कहकर हल्के हो लेते थे।इसी बीच उनके ऊपर व्रजपात हो गया पत्नी स्वर्ग सिधार गयी।बेचारे उस उम्र में अकेले हो गये जब जीवन साथी की जरूरत सबसे ज़्यादा होती है।अब अपना दुखड़ा किसी से न कह पाते।
नीरज ने भी अनुभव किया कि,"पापा हमेशा चुप ही रहतें हैं।कम ही बोलतें हैं।केवल मतलब की ही बात करतें हैं।"
एक दिन पापा भोजन कर चुके थे।नीरज करने लगा तो उसने पाया कि दाल में नमक नहीं है।पत्नी को बताया तो उसने कहा, "पापा ने तो कुछ बताया ही नहीं।"
नीरज समझ गया कि पापा बहू के काम में बुराई नहीं कर सके।शक्ति सिंह वर्कशॉप के कर्मचारी थे।हर वर्कशॉप में हाजिरी समय से ही होती है।नहीं तो अधिकारी से Late allow करवाना पड़ता है या अनुपस्थित होना पड़ता है।शक्ति सिंह अक्सर ही लेट हो जाते थे।रोज-रोज Late allow करते-करते अधिकारी भी नाराज हो जाता।लेकिन बेचारे शक्ति सिंह किसी से कुछ कह नहीं पाते।बहू नाश्ता व भोजन ही देर से देती थी।पत्नी थी तो देर होने पर उसकी जान खा जाते थे लेकिन बहू को क्या कहें?
एक दिन अधिकारी ने उन्हें Late allow नहीं किया।बेचारे सड़क पर ही घूमते रहे।घर नहीं आये।घर पर जल्दी आने का कारण क्या बतायेंगे कि बहू ने देर कर दी इसलिये ड्यूटी से वापस कर दिया गया हूॅ?
रोज शाम को घर आकर निढाल होकर कुर्सी पर बैठ जाते।जब नीरज की पत्नी पानी चाय देते तो पी लेते।माँगते कभी नहीं थे।नीरज इन सब बातों समझ रहा था।पिता की विवशता भी जान रहा था।लेकिन क्या कर ही सकता था?
एक दिन उसके मन में एक विचार आया।परन्तु पापा से कैसे कहे?वह न मानेंगे।समाज भी हँसेगा।इसी उधेड़बुन में पड़ा रहा।लेकिन कब तक?
हिम्मत करके उसने शक्ति सिंह से कहा,"पापा शादी कर लो।"
शक्ति सिंह भड़क उठे,"पागल हो क्या? इस उम्र में शादी?समाज क्या कहेगा?जवान बहू घर में है वह क्या सोचेगी?"
नीरज बोला,"समाज को मत देखिये।रहना तो हमारे साथ है आपको। समाज दो दिन में सब भूल जाता है।मुझसे आपका अकेला पन नहीं देखा जाता।"
शक्ति सिंह कहते,"कौन करायेगा मेरी शादी और किससे करवायेगा?"
नीरज कहता,"आप इसकी चिन्ता छोड़ो।मैं सब कुछ करवा दूंगा।बहुत सी बिना संतान की बेवा औरतें ५० साल से ऊपर की हैं इस समाज में तिरस्कृत।किसी से शादी करवा दूंगा।आपको एक जीवन साथी मिल जायेगा और इसी बहाने किसी विधवा का उद्धार भी हो जायेगा।"
बेटे की जिद के आगे शक्ति सिंह ने हथियार डाल दिए।बेटे नीरज ने इस प्रकार दों जिन्दगियों को आबाद कर दिया।

आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट और शेयर करें... सुधीर श्रीवास्तव

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