Saturday, September 21, 2019

रिटायर पापा

रिटायर पापा

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retirement

पापा रोडवेज में फोरमैन हुआ करते थे।नौकरी में थे तो हँस-मुख थे। माँ जब वह पचपन साल के थे उनका साथ छोड़कर चलीं गईं, तब से पापा अकेले से पड़ गये। किसी से अपना दुःख-दर्द नहीं कह पाते हैं, अपने मन की बात भी नहीं कहते हैं। ऑफिस की देर होती रहती थी लेकिन भाभी को जल्दी भोजन बनाने के लिए नहीं कहते थे। देर से ही सही ऑफिस जरूर जाते थे। शाम को आते चुपचाप कुर्सी पर निढाल बैठ जाते थे पर पानी नहीं मांगते थे। भाभी ने जब दे दिया पी लेते थे या खुद ही फ्रिज से निकाल कर पी लेते थे। लेकिन साथ में कुछ खाने की उम्मीद भी नहीं करते थे। चाय मिल गयी तो पी लिया नहीं चुप मारकर रह जाते थे। उनकी एक आदत थी जो अब भी है सुबह बासी मुंह गर्म पानी लगभग डेढ़ लीटर पीते हैं फिर उसके बाद एक कप शुद्ध दूध की चाय अपने हाथ से स्वयं बनाकर पीते हैं। माँ थीं तो बराबर ध्यान देती थीं किन्तु जब से वह न रहीं सुबह कभी दूध नहीं मिलता तो कभी चाय बनाने का बर्तन, पापा बिना चाय पिये ही रह जातें हैं। माँ के रहते हुए यदि सुबह चाय के लिए दूध नहीं पाते थे तो हंगामा मचा देते थे लेकिन अब कोई हंगामा नहीं। शायद समय की नज़ाकत समय समझ चुके हैं ।
अब तो पापा रिटायर हो चुके हैं सो दिन भर घर में ही रहतें हैं। भइया के बच्चों के साथ दिन बिताते हैं। कभी-कभी भाभी भी गजब कर देतीं हैं अगर पापा सोये रहतें हैं तब भी बच्चों को उनके पास भेज देतीं हैं। सोने का मन होते हुए भी पापा बिना मन के बच्चों के साथ भारी मन से खेलने लगतें हैं। वैसे तो पापा बच्चों को रोज पार्क में घुमाने ले जातें हैं। लेकिन भाभी का उम्मीद लगाना कि वह घुमाने तो ले ही जायेंगे उन्हें बुरा लगता है। अब बासठ-पैसठ साल के बुजुर्ग से किसी बात की उम्मीद करना बेकार है कि नहीं?
भाभी का यह उम्मीद करना कि वे बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ सब्जी वगैरह ला दिया करें उन्हें बुरा लगता है। वे अपनी जिन्दगी अपने हिसाब से जीना चाहते हैं पर भाभी जब कोई काम थोपतीं हैं तो उनका बुरा मानना लाज़िमी है। पापा पढ़ने-लिखने के बहुत शौकीन है सो अक्सर ही कुछ न कुछ पढ़ते-लिखते रहतें हैं उस समय उन्हें अवरोध पसंद नहीं रहता है जब भाभी उस समय भी कोई काम कह देंती हैं तो पापा को कितना कष्ट होता है कोई नहीं समझ सकता।
मेरा तो विचार है कि रिटायर व्यक्ति को अपने मन-मुताबिक दिन-चर्या से रहने देना चाहिए क्योंकि जब वह अपने हिसाब से जियेगा तो ज्यादा खुश रहेगा और लम्बी उम्र जियेगा। उस पर किसी काम को थोप कर उससे कार्य करने को मजबूर करना जहाँ एक ओर उसकी खुशियों को उससे छीनता है वहीं दूसरी ओर उसकी उम्र कम करता है।

आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट और शेयर करें... सुधीर श्रीवास्तव

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