Friday, September 20, 2019

                           वैमनस्यता
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"राज ट्रांसपोर्ट कम्पनी"
अपने शहर की मानी-जानी ट्रांसपोर्ट कम्पनियों में से एक थी।कम्पनी के मालिक सरदार मोहिन्दर सिंह जी एक धनाढ्य व्यक्ति थे।उनके अन्य दो भाई सरदार जोगिंदर सिंह तथा सरदार बलविंदर सिंह भी कम्पनी से जुड़े थे।तीनों भाइयों में बहुत मेल रहता था।वैसे भी आदमी लोग पारिवारिक झगड़ें नहीं करते।झगड़े होतें हैं तब जब घर में बहुएं आ जातीं हैं।मोहिन्दर सिंह जी जब तक परिवार में अकेले विवाहित पुरूष थे।तीनों भाइयों में बहुत मेल मेल-मिलाप था।साथ ही खाना-पीना रहता था।मोहिन्दर सिंह अगर किसी भाई को डाँट देते थे तो वह बुरा नहीं मानता था।
लेकिन जब से जोगिंदर और बलविंदर की शादी हुई है।घर में रोज किच्-किच् होने लगी।छोटे भाइयों को लगने लगा कि मोहिन्दर सिंह अधिक से अधिक पैसा लेकर उनको कम पैसा देतें हैं जैसे वे उनके भाई न होकर वेतनभोगी कर्मचारी हों।धीरे-धीरे छोटे भाइयों ने अपनी-अपनी ट्रांसपोर्ट कम्पनियां खोल लीं।भाइयों की इस विभीषण गिरी का परिणाम यह हुआ कि मोहिन्दर सिंह की कम्पनी "राज ट्रांसपोर्ट कम्पनी" को हानि होने लगी।उन्होंने एक-एक कर ट्रकों को बेचना शुरू कर दिया।कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी।अन्त में उनके पास एक ट्रक और चार वफादार ड्राइवर ही रह गए।बाकी सभी कर्मचारी चले गए।चारों ड्राइवर चार धर्म के थे हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई।
चारों एक-एक कर ट्रक चलाते थे।हिंदू हमेशा "हनुमान जी" की फोटो ट्रक में लगाता था।जब कि मुस्लिम "अल्लाह"की,सिक्ख "वाहे गुरु" की और ईसाई "क्रास" की।चारों एक-दूसरे की तस्वीर पसंद नहीं करते थे।जो ड्राइवर ट्रक चलाता था ट्रक में अपने भगवान् की तस्वीर लगा लेता था।यदि कोई ड्राइवर किसी कारण वश तस्वीर उतारना भूल जाता था तो दूसरा उसे उतार कर एक कोने में डाल देता था।तस्चीर  चारों ड्राइवर में वैमनस्यता का कारण बनती चली गई।उन्होंने ट्रक को भी मेनटेन रखना छोड़ दिया।नतीजा यह हुआ कि एक तस्वीर के कारण ट्रक बर्बाद हो गई और चारों ड्राइवर में बोलचाल बन्द होने लगी।

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