एक औरत ऐसी भी
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लेकिन विमला जी ठीक इसके विपरीत हैं। अपनी सास या ससुराल पक्ष की कोई भी शिकायत किसी से नहीं करतीं हैं। यहाँ तक कि अपनी माँ या पति से भी नहीं।यदि कोई शिकायत रहती भी है, तो उसे उम्र का तकाजा मानकर टाल जातीं हैं। उनके दिमाग में यह बात हमेशा ही गूँजती रहती है कि वह इस घर की बहू हैं तो सास की ही वजह से हैं। न सास होतीं, न पति पैदा होता, यदि कोई दूसरी औरत अपने ससुराल पक्ष की शिकायत उनसे करती है तो यह कहकर चुप करा देतीं हैं कि,"यह तुम्हारी समस्या है, मैं सुनकर क्या करूँगी।"
इसीलिये वे जहाँ मुहल्ले के बड़े-बुजुर्ग की निगाह में भली रहतीं हैं, वहीं पुरूषों की पसंदीदा औरत हैं तथा औरतों की नजर में खटकतीं रहतीं हैं। लेकिन विमला जी इन सब की परवाह न करते हुए अपनी सास की सेवा करतीं हैं तथा ससुराल पर जान देती हैं। उनके एक लड़का और एक लड़की हैं। दोनों पर इसका असर पड़ता गया।
लड़की की शादी हो गई है। वह भी माँ से सीखे संस्कारों के कारण ही अपने ससुराल पक्ष की बड़ी कद्र करती है। यदि कभी भूल से भी वह विमला जी से कोई शिकायत कर देती है तो विमला जी उसकी पूरी बात सुनकर उसे समझाकर चुप करा देंती हैं ।ऐसा जतातीं हैं कि उसकी बातों को गौर से नहीं सुना। लेकिन शिकायत का हल शालीनता से खोज ही लेंती हैं।अधिकतर लड़की ही बात का बतंगड़ बनाते दिखती है, जिस पर वह बिना मोह-माया के लड़की को डाँट देती हैं। अब तो हालात यह है कि लड़की ससुराल पक्ष की कोई भी शिकायत नहीं करती।
समय पर उन्होंने लड़के की भी शादी कर दी। चूँकि लड़का जो देखता आया है अपनी पत्नी को वही सिखाता है। एक बार विमला जी बहुत बीमार पड़ गयीं। उधर उनकी लड़की की सास पहले से ही बीमार चल रहीं थीं। लड़की विमला जी मिलना चाहती है। लेकिन विमला जी की बहू ने यह कहकर उसे रोक दिया कि, "बीबी जी, आप अपनी सास को देखिये मैं अपनी सास को देख रहीं हूॅ।माँ जी इतना नहीं बीमार हैंं कि उन्हें देखने आपको आना पड़े।हाँ, जब ऐसी हालत आयेगी आपको खबर कर दिया जाएगा।"
विमला जी ने यह बातें सुन ली अपनी बहू को गले लगा कर कहा,"मुझे ऐसी ही बहू चाहिए थी, मैं बहुत खुश किस्मत हूॅ।"
आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट और शेयर करें... सुधीर श्रीवास्तव
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