Monday, September 30, 2019

         कभी-कभी
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कभी-कभी उनमें इस कदर खो जातें हैं,
न तन का होश रहता है,
न मन का होश रहता है,
लाख भटकाऊँ दिल को,
पर दिल है कि,
मानता ही नहीं है,
भटक-भटक कर उन पर ही आ जाता है।
ख्यालों में वही और वही रहतें हैं,
जब कभी कुछ सोचने लगता हूॅ,
हर सोच उन्हीं पर आ टिकती है,
दिल से मैंने कहा,
क्यों उन पर आ टिकता है,
दिल कहता है हरदम,
आदत से मजबूर हूॅ।

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