जय माता रानी
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तुम आई हो द्वार मेरे,
मन प्रफुल्लित हो गया,
देख नहीं पाता हूॅ तुमको,
पर अनुभव तो करता हूॅ।
एक नयी शक्ति का होता है संचरण,
सुख-संपत्ति लेकर आई हो,
आशा यह होती है,
नवजीवन मुझको तुम दोगी।
आशा इसकी भी होती है,
शक्ति का अपने प्रयोग करोगी,
कष्ट दुःख अब सब हर लोगी,
कपट भी हमसे दूर रहेगा,
अहं मेरा मिट जायेगा।
नौ दिन पृथ्वी पर रहकर,
अपने धाम चली जाओगी,
लेकिन इन दिनों की छाया,
हमेशा हम पर रखोगी।
आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
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