Monday, November 11, 2019

बुढ़ापा (जीवन का अन्तिम पड़ाव)


 बुढ़ापा (जीवन का अन्तिम पड़ाव)
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old age photo

यह मेरा अन्तिम पड़ाव है,
बेवश और लाचार हो जाता,
बच्चों का खिलौना होकर,
बड़ों पर बोझ बन जाता हूॅ।
यहीं मेरे इतिहास के पन्ने,
खुद ब खुद खुलने लगते हैं,
अब तक का बहीखाता,
अब दिखने लगता है।
नफा और नुकसान अब,
दिमाग में आने लगते हैं,
बच्चे मुझसे खेलने लगते हैं,
बड़े तंग आ जाते हैं।
कभी हरा-भरा पेड़ था,
अब सूखकर ठूंठ हो गया हूॅ।
न जाने कब पककर टूट पड़ूगां,
सोचकर परेशान होता हूॅ
कभी-कभी खुद से कहता हूॅ,
हे भगवान्,
मुझे उठा ले,
अब सह न पाऊँगा।
यमराज के साथ जाने लगता हूॅ,
घूम-घूम कर देखता हूॅ,
क्या साथ ले जा रहा,
क्या छोड़कर आया हूॅ ।
दूर अर्थी दिख जाती है,
चार ही कंधों पर रहता हूॅ,
कहीं भीड़ बहुत अधिक,
कहीं गिने-चुने ही रहते हैं।
तब समझ में आता है,
मैं कुछ भी कर देता,
चार ही कंधे मिलने थे,।
लेकिन मेरे नाम के पीछे,
कितनी दुनिया भाग रही है,
बस मैंने यही कमाया,
और,
यही छोड़कर आया हूॅ।

आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट और शेयर करें... सुधीर श्रीवास्तव

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