Wednesday, November 13, 2019

बिटिया रानी

बिटिया रानी 
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daugther father

कमलेन्द्र जी ने नीलू को बहुत प्यार और अरमानों से बड़ा किया था, करतें भी क्यों न नीलू उनकी अकेली संतान जो ठहरी। पत्नी नीलू के बचपन में ही स्वर्ग सिधार गयीं थीं। कमलेन्द्र ही उसके सब कुछ थे। माँ-बाप भाई-बहन सब, अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाई, अच्छे से अच्छे कपड़े पहनाते, नीलू की तबीयत जरा सी खराब होती बेचारे परेशान हो जाते, किसी भी चीज की मांग नीलू की जिद में बदलती उससे पहले वह सामान हाजिर हो जाता। दिन बीते  नीलू बड़ी होती गई लेकिन कमलेन्द्र जी का दिमाग उसके प्रति नहीं बदला, उनकी निगाह में नीलू बच्ची रहती, नतीजतन नीलू जिद्दी होती गयी, जहाँ कहती,"पापा, यह सामान चाहिए।"
पापा दौड़ पड़ते बाजार की तरफ, कमलेन्द्र जी की एक बहन थी। वह समझाती,"कमल, नीलू को इतना दिमाग मत चढ़ाओ, कभी शादी करोगे इसकी, तब क्या लड़के वाले इसके नखड़े उठायेंगे? सोचो।"
परन्तु कमलेन्द्र केवल एक हँसी में बातों में उड़ा देते। कहते,"दीदी, नीलू के आदमी को घर जंवाई बना लूंगा पर नीलू को अपने से अलग नहीं करूंगा।"
बहन उनकी बातों पर हँस कर रह जाती, कहती, "मेरा काम तुम्हें समझाना था समझा दिया, आगे तुम जानो और तुम्हारा काम।"
कमलेन्द्र पुराने रवैये पर अड़े रहे,  नीलू दिन प्रतिदिन जिद्दी होती गयी, उसके सपनों को भी पंख लग गये, अतः थोड़ी अभिमानी हो गई।
कमलेन्द्र जी ने बहुत कोशिश की उसकी शादी करने की लेकिन नतीजा फिस्स। नीलू को कोई लड़का पसंद नहीं आता, सभी लड़कों में कमी निकाल देती। परिणामस्वरूप नीलू  45 साल के उम्र में भी क्वांरी ही रह गई।

आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट और शेयर करें... सुधीर श्रीवास्तव

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