ढकोसला
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लेकिन एक बिमारी से बहुत ग्रस्त रहतें हैं बेचारे, मौके पर धार्मिक बन जातें हैं। कोई कार्य करने से पहले पंडित जी से मुहूर्त निकलवातें हैं। व्यापार पर कब जाना उचित रहेगा? किस दिशा की ओर मुंह करके जाना उचित रहेग? आज दिशा-शूल है कि नहीं? कहीं शादी पड़ी जाये तो पंडित जी मुहूर्तों की लाइन लगा देते हैं। लाख बेइज्जती हो जाये परन्तु काम मुहूर्त पर ही करेंगे, उनकी लड़की की गोद भराई (Engagement) थी। पंडित जी ने कहा, "लड़के वालों के आने का मुहूर्त ११:०० बजे हैं और गोद भराई का मुहूर्त ३:०० से ६:०० बजे तक और आप (लड़की वालों) लोगों को वहाँ ४:०० बजे पहुंच जाना चाहिए। वह पंडित जी पर इतना विश्वास करतें हैं या मुहूर्त से डरते हैं कि लड़के वालों को तो ११.०० बजे होटल में बुला लिया खुद आये ४:०० बजे, अब सोचिए लड़के वाले कितने पक गए होंगे? उसके कितने मेहमान बिना नाश्ता-भोजन किये ही भूखे वापस चले गए। लड़के के बाप झल्ला कर रह गए लेकिन श्याम लाल जी मुहूर्त से मजबूर थे। मुहूर्त उन पर इस कदर हावी रहतें हैं कि मांसाहार पार्टी का भी मुहूर्त निकलवातें हैं और पंडित जी निकाल भी देतें हैं। साथ में शराब पीने का मुहूर्त भी निकाल लेतें हैं।
ऐसा नहीं कि यह मुहूर्त-बिमारी केवल श्याम लाल जी को ही हो उनके पूरे परिवार को है।
लड़की दूसरे के घर ब्याह गयी जो यह सब नहीं मानता, उस पर भी मुहूर्त-बिमारी है। कोई भी काम करना होगा सास-ससुर से नहीं पूछेगी अपने माँ-बाप से कहकर पंडित जी से निकलवायेगी, फिर तो सास-ससुर ही क्या ब्रह्मा भी कहें तब भी वह माँ-बाप के द्वारा बताए गए मुहूर्त पर ही काम करेगी। श्याम लाल जी के लड़की के घर में इस हस्तक्षेप का यह असर पड़ा कि सास-ससुर हों या ससुराल का कोई सदस्य कोई उसके बीच में बोलता ही नहीं कौन अपनी बेइज्जती कराये। क्योंकि वह वही करेगी जैसा उसके माँ-बाप बतायेंगे।नतीजा-धीरे धीरे ससुराल वालों से उसकी दूरी बढ़ने लगी। सास-ससुर तो उसके बीच में वैसे भी नहीं बोलतें लेकिन जब कभी अपने बेटे को मुहूर्त-बिमारी से ग्रस्त होते देखतें हैं तो उसे टोक देतें हैं परन्तु बेटा भी क्या करे बेचारा जब पत्नी और उसके माँ-बाप मुहूर्त-बिमारी से बुरी तरह ग्रस्त हैं।
आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट और शेयर करें... सुधीर श्रीवास्तव
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