Monday, November 18, 2019

             टूटता-बिखरता परिवार
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भगवान् भी एक हँसते-बोलते परिवार को कैसे बिखेर देता है।देखिए तो।श्यामा नन्द जी ने दस कमरे का मकान बनवाया।उनके परिवार में उनकी माँ,चार लड़के,उनकी बहुएं,चार पोते और एक पोती यानि कुल  18 सदस्यों वाला बड़ा परिवार था।सोचा,"सभी मिलकर रहेंगे।"लेकिन भगवान् को कुछ और ही मंजूर था।पहले माँ गिरीं कमर की हड्डी टूट गई।दों साल बिस्तर पर रहने के बाद स्वर्ग सिधार गयीं।
फिर बड़ा पोता अंजानी बिमारी से मर गया।अभी उसका गम भूले नहीं थे कि दूसरे नम्बर का पोता भी उसी बिमारी से मर गया।उनके बड़े लड़के ने दौड़-धूप कर अपनी बेटी की शादी कर डाली।शादी के कुछ ही दिन बाद सबसे छोटी बहू कैंसर से मर गयी।जिसके कुछ दिनों के बाद पत्नी ने बुढ़ापे के कारण दम तोड़ दिया।फिर बड़े लड़के और उसकी पत्नी ने कैंसर के कारण अन्तिम साँसें ले लीं।बेचारे अभी गम भूले भी न थे कि खुद  92 साल की उम्र में स्वर्ग सिधार गये।
तीसरा लड़का बाहर रहता है।उसके दो लड़के भी बाहर नौकरी करतें हैं।सबसे छोटा पोता भी बाहर ही रहता हैं।दूसरे नम्बर का बेटा भी शरीर में इन्फेक्शन के कारण चलता बना।इस समय उनके दस कमरे के मकान में सिर्फ चार ही लोग रहतें हैंं।
यह माया है भगवान की कि  18 सदस्यों के परिवार वाले मकान को चार सदस्यों में तब्दील कर दिया। जब मकान में रहने वाले कम होते गये तो अब मकान बेंचने की नौबत आ गई।

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