Saturday, January 18, 2020

                       मेल
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आज के जमाने में शादी हो जाने के बाद दो भाई मेल से रहें आश्चर्यजनक है न?लेकिन आनंद बाबू और उनके भाई ठीक इसके विपरीत हैं।आनंद जी सीधे-सादे नौकरीपेशा साधारण पुरूष हैं उनके भाई गांव में खेतीबाड़ी का कार्य करते हैं।चूँकि गांव में पढ़ाई-लिखाई की अच्छी व्यवस्था नहीं है।अतः भाई के दोनों लड़कों और एक लड़की को आनंद जी ने शहर में अपने पास रखा।अपनी ही संतानों की तरह उन्हें पढ़ाया-लिखाया।उनका सारा खर्च आनंद जी ही उठातें हैं।भाई केवल खेतीबाड़ी करता है।अपने और आनंद जी के परिवार के लिए राशन की व्यवस्था वही करता है।दोनों घरों के अन्य खर्च आनंद जी उठाते हैं।अभी हाल ही में तो भाई की लड़की की शादी हुई है सारा खर्च आनंद जी ने ही तो उठाया था।भाई ने मेहमानों के भोजन-पानी की व्यवस्था की थी।इसीप्रकार आनंद जी के परिवार में कोई अवसर आता है तो भाई ही आनंद जी के सारे मेहमानों के भोजन की व्यवस्था करता है जबकि आनंद जी अन्य खर्च उठाते हैं।
      भाई के दोनों लड़कों को पढ़ा-लिखा कर उनके सरकारी अधिकारी बनने तक उनका पूरा खर्च आनंद जी ने ही तो उठाया है बिना किसी भेदभाव के।भाइयों के इस मेल की चर्चा दूर-दूर तक होती है और मिसाल दी जाती है।

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