Tuesday, July 30, 2019

पिताजी की सीख


पिताजी की सीख




यूं तो मेरे पिताजी थोड़ा रिजर्व टाइप के आदमी थे कम बोलने वाले। वैसे भी वे कुछ कम सुनते थे इसलिए परिवार वाले उनसे कम ही बोलते थे। कभी-कभी किसी मतलब के प्रश्न का उत्तर कुछ और ही दे दिया करते थे जिसके कारण वे उपहास का विषय बन जाया करते थे तथा हम लोगों की शर्मिंदगी व खिसियाहट का। हम लाख कहते हियरिंग एड लगवा लो, लेकिन उन्हें अच्छा नहीं लगता था, बन ठन कर या सज-धज कर रहने का भी उन्हें शौक नहीं था, साधारण ही रहते थे। हाँ, हम दोनों भाइयों को सजा-धजा देखने का उन्हें बहुत शौक था।
नौकरी में थे, तो कोई बात नहीं थी। जब रिटायर हो गए तो मुझे गृहस्थी का पाठ पढ़ाने लगे,"ऐसा करो, वैसा करो, खूब मौज मस्ती करो, खूब खाओ-पीओ लेकिन चार पैसे बचाकर चलना। जिन्दगी लम्बी है, जिम्मेदारियां बहुत आयेंगी, निभाना होगा। तुम्हारी एक लड़की भी है उसकी पढ़ाई व शादी की चिन्ता अभी से करना शुरू कर दो।"
मेरी पत्नी खर्चीली है सो पिताजी की बातें उसे पसंद नहीं आतीं थीं।
 उसका विचार था, "खाओ-पीओ मौज करो समय पड़ने पर सब देखा जायेगा।"
उधर पिताजी का भाषण इधर पत्नी की बड़बड़ाहट, "कोई काम तो इन्हें है नहीं, केवल लेक्चर देने के,  कान पक गए लेक्चर सुनते-सुनते।" मैं खिसिया सा जाता था।
पिताजी ने एक दिन फिर समझाना शुरू किया, कुछ देर मैं सुनता रहा कुछ न बोल।
फिर अचानक बोल पड़ा, "पापा, मैं अब बच्चा नहीं हूॅ, बड़ा हो गया हूॅ, सबकुछ समझता हूॅ।"
पिताजी अवाक् रह गए, बस इतना ही कहा, "अरे, मैं तो भूल ही गया था, हाँ बेटा, तुम वाकई बहुत बड़े हो गए हो।"
उसके बाद पिताजी ने हमेशा के लिए चुप्पी साध ली, उन्हें पढ़ने तथा लिखने का शौक था अतः उसी में व्यस्त रहते या मेरी बेटी के साथ खेलते रहते।
एक दिन पिताजी हम सबको छोड़ कर चले गए, दिन बीतते गये, मेरी बेटी शादी लायक हो गयी, मैं उसकी शादी के लिए दौड़े-धूप करने लगा, लेकिन लड़के वालों के भाव सुनकर हिम्मत हारने लगता। पैसा जिन्दगी भर कमाया जरूर, लेकिन खाने-पीने मौज-मस्ती में उड़ा दिये, पैसे बहुत ज्यादा नहीं हैं मेरे पास।यदि पिताजी की बातें सुनता और शुरू से पैसे बचाता तो आज यह हालत न होती।
पिताजी की जो बातें मुझे भाषण लगतीं थीं अब वे हथौड़े की तरह मुझपर चोट कर रहीं हैं।
लेकिन,
"अब पछताये होत क्या।
जब चिड़िया चुग गयी खेत।"

आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट और शेयर करें... सुधीर श्रीवास्तव


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