Wednesday, August 7, 2019

सरकारी वसूली

सरकारी वसूली
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श्याम बिहारी अच्छे परिवार से हैं, पिताजी सरकारी मुलाजिम थे, खुद श्याम बिहारी जूनियर इंजीनियर हैं, लेकिन अपने उसूल के पक्के केवल तनख्वाह से ही संतोष करने वाले, ऊपरी कमाई से दूर से ही हाथ जोड़तें हैं।शायद उन्हें पता नहीं है कि जमाना बहुत आगे है, ऊपरी कमाई न करने वाले को आज के युग में बेवकूफ समझा जाता है, इसीलिए अधिकारियों की निगाह में अच्छी छवि होने के बावजूद, अधिकारी उन्हें पसंद नहीं करते हैं।किसी न किसी बहाने परेशान ही करते हैं। जो काम वे करवाते, अच्छा होने के बावजूद, उसमें कमी ही निकाल देते हैं, ठेकेदारों के बिल पर हजार कमियां निकालते, बेचारे परेशान ही रहतें हैं।
परिवार में पति-पत्नी सहित दो बेटियां और एक बेटा है। बड़ी लड़की की शादी तो कर चुके हैं तथा छोटी लड़की बीए व लड़का इंजीनियरिंग में पढ़ता है। बेटियां बड़ी भी जल्दी होतीं हैं और शादी लायक तो इतनी तेज हो जातीं हैं कि पता ही नहीं चलता कब पैदा हुईं हैं कब शादी लायक हो गयीं, सो छोटी बेटी की शादी की चिन्ता उन्हें सताने लगी। लेकिन जहाँ जाते लड़के वालों के भाव सुनकर पसीने छोड़ देते। हालांकि उन्हें इस प्रकार के भावों का अंदाजा था, लेकिन बड़ी लड़की की शादी और लड़के की पढ़ाई से कंगाल हो गये थे तथा जैसा मैंने पहले ही बता दिया है कि वे केवल तनख्वाह पर निर्भर रहतें हैं अगर ऊपरी कमाई करते तो पैसे की कमी नहीं थी परंतु उनके उसूल आड़े आ रहे हैं। एक सरकारी मुलाजिम लड़का पसंद किया। किन्तु बात कार पर अटक रही है।हालांकि कार तो श्याम बिहारी जी खुद ही दे रहें हैं किन्तु जो कार लड़के वालों को चाहिए वह इनके बस की नहीं, बहुत हाथ-पैर जोड़े विनती की लेकिन लड़के वाले राजी न हुए। उनके मन में आया यह लड़का छोड़ दूं, लेकिन इसके आगे कोई लड़का पसंद नहीं आ रहा था। उधार लेने की कोशिश की तो ब्याज सुनकर हिम्मत हार जाते।नौकरी भी कम ही बची है सो बैंक भी लोन देने को तैयार नहीं हैं। बेचारे की रातों की नींद उड़ गई, ऑफिस में सहकर्मियों से बताते तो वे भाषण देने लगते, "अरे, श्याम बिहारी, जमाना ईमानदारी का नहीं, जमाना है, खाइये पीजिये और खिलाइये सुख ही सुख है इसमें। भाई, पैसे में बहुत ताकत है अगर आप भी दायें-बायें हाथ मारते तो आज परेशान न होते, आप भी खुश अधिकारी वर्ग भी खुश, आज बिटिया की शादी के लिए परेशान न होते, अब भी समय है, सोच लीजिये, मौका है आपके पास चूकियेगा नहीं।"
श्याम बिहारी जी को बुरा लगता लेकिन मन मसोस कर रह जाते। उत्तर देना चाहकर भी चुप रहते, खुद से पूछते क्या करूँ? दिन पर दिन स्वास्थ्य गिरने लगा, अभी हाल ही में एक ठेकेदार बिल लेकर आया था दस्तखत करवाने, बिल गलत था, इसलिए उसे वापस कर दिया। लेकिन आज उस ठेकेदार को खुद बुलाया बोले, "दस्तखत तो कर दूंगा लेकिन किसी से कहना नहीं मुझे----------------" इसके पहले कि वे कुछ बोंले ठेकेदार बोल पड़ा, "कान तरस गये थे सुनने के लिए साहब हुक्म कीजिए आसमान आपके पाँव तले होगा। "श्याम बिहारी जी के उसूल इस जमाने के आगे टूट गए और उन्होंने उसकी फाइल पर दस्तखत कर दिये।

आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट और शेयर करें... सुधीर श्रीवास्तव

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