Tuesday, September 17, 2019

एक रात यमराज आये पास मेरे

एक रात यमराज आये पास मेरे
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Yamraj

एक रात की बात बताऊँ,
यमराज आये थे पास मेरे,
जगाया मुझे,
बोले,
"उठ बेटा,
चल अब मेरे साथ,
समय तेरा पूरा हो गया।"
मैं जागा,
उनको देखा,
काले-कलूटे से थे वे,
उनका भैंसा द्वार पर खड़ा-खड़ा,
जुगाली कर रहा था।
मैंने कहा,
"कौन हो भाई,
मेरे पास क्यों आये हो?
मैं दान आदि में विश्वास नहीं करता,
मुझसे कुछ न पाओगे।"
रंग बदला यमराज के चेहरे का,
बोले,
"मैं कुछ लेने नहीं,
तेरी उम्र पूरी हुई,
तुझको ही लेने आया हूॅ,
चल मरने को तैयार हो जा।"
मैं बोला,
"अभी-अभी मैं उठा हूॅ,
वह भी तुमने उठा दिया है,
सुबह के केवल पाँच बजे हैं,
मैं नौ बजे के बाद उठता हूॅ,
अभी तो कहीं जा नहीं सकता,
मरने की बात दूर है।"
यमराज तमतमा उठे,
बोले,
"तेरी इतनी हिम्मत,
जानता नहीं यमराज हूॅ मैं  !"
मैं बोला,
"कोई भी हो,
डरता नहीं किसी से मैं,
पहली बात यह कहता हूॅ,
जबान संभाल कर बात करो,
तुम मुझे जानते नहीं,
इस गली का दादा हूॅ मैं,
क्या तुमको डर नहीं लगता,
वह भैंसा तुम्हारा ही है न,
गोबर कर गेट गन्दा कर डाला है,
जाओ पहले गोबर साफ करो,
तब मुझसे बात करना आकर।"
यमराज गुस्से में लाल हो गये,
मुझे मारने को गदा उठाया,
मैंने भी बन्दूक लेनी चाही,
तभी पत्नी की आवाज कानों में पड़ी,
"किस बेवकूफ का भैंसा है यह,
यहाँ कहाँ से आ गया,
गेट गन्दा कर डाला है,
ए जी उठिए तो जरा,
उसे ढूँढ कर लाइये,
और इस भैंसे को दूर यहाँ से भगाइए।"
सुनकर मेरी पत्नी की बातें,
यमराज की कंपकंपी छूट गयी,
बोले,
"बेटा,
क्या तू अपनी पत्नी से डरता नहीं,
बड़े ताज्जुब की बात है,
मुझे भी वह उपाय बताओ,
पत्नी मेरी मुझसे डरा करे।"
पत्नी बोल पड़ी तुरन्त ही,
"कहाँ हो यार,
मैं कब से चिल्ला रही,
क्या कानों  में नहीं घुसी?"
मैंने देखा,
यमराज घबड़ाये से थे,
मैं बोला,
"भाई,
तुम चाहे जो कोई भी हो,
मैं नहीं जानता,
लेकिन अभी तो चल सकता नहीं,
पत्नी से मैं बहुत डरता हूॅ,
पहले उसकी आज्ञा सुनूगां,
तुम्हारे बारे में बाद में सोचूंगा,
पहले भैंसा भगाना है जरूरी।"
सुनते ही यमराज बोले,
"सच है,
पत्नी से दुनिया डरती है,
अभी तो मैं भैंसा लेकर भागता हूॅ,
फिर कभी आऊँगा।"

आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट और शेयर करें... सुधीर श्रीवास्तव

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