Tuesday, September 17, 2019

मैं पहुंचा एक शादी में

मैं पहुंचा एक शादी में
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Shadi

घटना बिल्कुल सही है,
झूठ नहीं मैं बोल रहा,
ऑखों देखी मेरी है,
आपने ने भी अनुभव किया होगा।
मैं पहुंचा एक शादी में,
बड़े भाई के साले की लड़की की शादी थी,
मैं और मेरा परिवार साथ था,
और लोग भी जमा हुए थे।
कोई सूट-बूट धारण किए हुए,
कोई साधारण वेश में था,
औरतों को देखा,
ओवर मेकअप किये हुए,
कोई बिल्कुल साधारण थी।
लड़कियां सेल्फी में बिजी थीं,
लड़के कुछ दूर खड़े,
और नजरें बचाते हुए,
उनपर टकटकी लगाये थे।
लड़की वाले ने निवेदन किया सबसे,
"भइया,
नाश्ता कर लीजिए"
ऐसे दौड़े लोग वहाॅ पर,
जैसे ट्रेन छूट रही हो।
कोई कुछ खाता कोई कुछ खाता,
कोई-कोई तो सबकुछ खा रहा था,
ऐसे,
जैसे कभी खाया न हो।
नाश्ते के बाद पानी का नम्बर आया,
लोग पानी कम पी रहे थे,
लेकिन,
कोल्डड्रिंक,कॉफी,चाय,
एक के बाद एक पी रहे थे।
सबकुछ खाने के बाद भी,
भोजन को ताक रहे थे,
इशारा होते ही,
ऐसे टूटे,
जैसे,
भोजन खत्म होने वाला हो।
एक प्लेट में,
चावल,दाल, रोटी, सब्जी,
दही बड़ा,चटनी,पनीर, मशरूम,पापड़,
रसगुल्ला, हलुवा लेकर खा रहे थे।
खाते कम बातें ज्यादा करते थे,
और,
सब मिलाकर खट्टा-मीठा,
नमकीन,कड़वा भोजन का स्वाद खराब कर देते,
लोग कहते,
"भोजन अच्छा नहीं बना है",
कूड़ेदान में डाल देते थे,
मैंने सोचा,
"क्या घर में भी ऐसा ही करतें होंगे?"
एक मेहमान को देखा,
आइसक्रीम पर जुटा हुआ था,
सच मानिए,
मैंने अपने बेटे को भी गिनाया,
मेरे सामने वह पन्द्रह आइस्क्रीम खा चुका था,
मैं समझ न पाया,
आखिर ऐसा लोग क्यों करतें हैं,
क्या दूसरे की इज्ज़त इज्ज़त नहीं होती,
अपने दरवाजे पर भी,
क्या वे ऐसा करतें होंगे।

आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट और शेयर करें... सुधीर श्रीवास्तव

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