Tuesday, October 8, 2019

सास और बहू

सास और बहू
---------------------



मालती जी आयु होगी यही लगभग ५९ वर्ष। सीधी-सादी,सुशील, कुछ पुराने कुछ नये ख्यालात की मिश्रण, चाहे कोई भी हो सबके साथ मिलकर रहना उनका यह स्वभाव बहुत अच्छा है। पति होंगे ६० साल के अभी दो महीने और नौकरी में रहना है उन्हें, घर से कार्यशाला लगभग ५० किमी पर है और ड्यूटी आठ बजे से सो घर से साढ़े पाँच बजे सुबह ही निकल जातें हैं। बड़ा बेटा कुछ दिनों पहले तक साथ ही रहता था। अब तो बाहर नौकरी लग गयी है। जब वह साथ ही रहता था तो आठ बजे ऑफिस जाता था। अतः मालती जी सुबह साढ़े चार ही उठ जातीं हैं। पहले झाड़ू-पोछा लगाकर पति के लिये नाश्ता व दोपहर का लंच तैयार कर देंती हैं, फिर उसके बाद बड़े बेटे के लिये नाश्ता व दोपहर का लंच तैयार करतीं थीं।
जब बेटा शादी लायक हो गया तो उसकी शादी कर दी। सोचा,"अब कुछ आराम हो जायेगा, बहू हाथ बँटायेगी" लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ बहू तो आठ- साढ़े आठ बजे तक सोकर उठती है, जब उसका पति ऑफिस जाने लगता तब। तब तक बेटे को नाश्ता व लंच मालती जी दे चुकी रहतीं थीं। बहू आजकल की बहुओं की ही तरह है। ५९ साल की सास की बराबरी खुद की ३० साल से करती है। दिन का भोजन मालती जी बनातीं हैं तो रात का भोजन बहू बनाती है। यदि बर्तन माँजने वाली महरी नहीं आई तो बहू कभी बर्तन नहीं धोती है। धोयेंगी तो मालती जी ही, नहीं बर्तन जूठा ही पड़ा रहेगा।
आजकल अधिकांश बहुओं में एक आदत खराब होती है मायके के आगे ससुराल पक्ष को छोटा देंखतीं हैं । अपने मायके पर बहुत घमण्ड करतीं हैं वह भूल जातीं हैं कि किस भी मौके पर पहले ससुराल पक्ष ही खड़ा होगा।
मालती जी के माता-पिता अभी जिन्दा है पिता की उम्र ८४ साल तथा माँ की उम्र ८२ साल होगी। अब इस उम्र में उनसे कोई काम तो होता नहीं हाँ अपना ही काम कर लेंते हैं यही बहुत है। उन लोगों ने भोजन बनाने के लिए एक महाराजिन रखी है। वह कभी-कभी दो-चार दिन नहीं आती है या इतनी उम्र में कुछ न कुछ बिमारी लगी रहती है क्योकि मालती जी को कोई भाई नहीं है इसलिये मौके पर उन्हें अपने माँ-बाप को भी देखने जाना पड़ता है। तब घर में केवल उनके पति और बहू रह जातें हैं। चूँकि पति सुबह जातें हैं सो मालती जी के न रहने पर ससुर को नाशता-लंच देने के लिए बहू को उठना पड़ता है जो उसे खलता है। मालती जी कह देती है, "आप अपने माँ-बाप के पास चलीं जातीं हैं तो पापा जी और अपने एक बेटे को देखना मेरे लिए संभव नहीं हैं।"
बेचारी मालती जी!

आज के लिए इतना ही...धन्यवाद
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट और शेयर करें... सुधीर श्रीवास्तव

ऐसे ही और कहानियां पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

No comments:

Post a Comment